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आ जाओ राम हम सोये नहीं.
आ जाओ लखन हम सोये नहीं
आ जाओ सीते हम सोये नहीं
सुध बुध से हम सब खोये हुये
निद्रा से हम सब विछोए हुए
भूख प्यास से हम पराये हुए
भटके से हम निराशा लिए
आ जाओ राम हम सोये नहीं
आ जाओ प्राण हम सोये नहीं |
जीवन हम सबका मृतप्राय सा
काया हम सबकी कृशकाय सा
राजमहल दिखता शमसान सा
अयोध्या दिखे हमें वीरान सा
आ जाओ राम हम सोये नहीं.
आ जाओ प्राण हम सोये नहीं |
आँखें हम सबकी पथरा गयी
बुद्धि हम सबकी चकरा गयी
कुछ भी न सूझे,कुछ भी ना बूझे
विरह की अग्नि में हम सब झुलसे
आ जाओ राम हम सोये नहीं.
आ जाओ प्राण हम सोये नहीं |
तुम हो सूरज हम हैं सितारे
तुम्हारी प्रभा से चमके न्यारे
काली रातें और काले हैं घन
उजड़ा जीवन उजड़ा चमन
आ जाओ राम हम सोये नहीं
आ जाओ प्राण हम सोये नहीं |
भरत कुमार ने की है अगुवाई
अयोध्या जन सब बने हैं सहाई
राम लखन सीता वापस आएंगे.
अयोध्या के दिन पुनः फिर जायेंगे
आ जाओ राम हम सोये नहीं
आ जाओ लखन हम सोये नहीं
आ जाओ सीते हम सोये नहीं
आ जाओ प्राण हम सोये नहीं |
चन्दन अधिकारी
मार्च १२, २०१६