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स्वच्छ भारत का सपना सचमुच लगता अब साकार होगा
महज एक नारा न रहकर जन जन का आंदोलन होगा
हर एक हाथ में झाड़ू होगी हर मन में बिश्वास होगा
कचरे वाला अब हम सबके दिलों का दिलदार होगा
स्वच्छ भारत का सपना सचमुच लगता अब साकार होगा I
कचरे से सफाई वाला अब उसकी पहचान बनेगी
निम्न जात के भेद भाव से उसे अब निजाद मिलेगी
गली मोहल्ला गाँव शहर सज धज कर अब ताल ठोकेंगे
जाने अनजाने में ही सही दूल्हे दुल्हन का भाव भरेंगे
स्वच्छ भारत का सपना सचमुच लगता अब साकार होगा
हर गली हर कूचा नवेली दुल्हन बनेगी
हर पथिक की भीनी मधुर तान सुनेगी
गली कूचे की बात बहुत दूर तलक जाएगी
गाँव, मोहल्ला और शहर शान अब बढ़ जाएगी
शैलानियों का शैलाब मेरे देश में आ उमड़ेगा
देश का नाम स्वच्छ देशों की फेहरिस्त में जुड़ेगा
होगा स्वच्छता व विविधिता का अद्भुत संगम
भारत को बनाएगा दुनिया के देशों का सिंघम
चन्दन अधिकारी
अक्टूबर २८, २०१४
Uma Ghosh said:
Very nice poem.
csadhikari said:
Thanks a lot
Uma said:
Most welcome Sir.